करवा चौथ 2024: व्रत की पूजा विधि, महत्त्व और शुभ मुहूर्त

करवा चौथ का महत्त्व

करवा चौथ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते को भी और मजबूत बनाता है।
इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और दिनभर निर्जला उपवास रखती हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, करवा चौथ के व्रत से न केवल पति की आयु बढ़ती है,
बल्कि परिवार में खुशहाली और सुख-समृद्धि भी आती है।

यह पर्व एकजुटता और प्रेम का प्रतीक है, जहां महिलाएं अपने पति के प्रति समर्पण को दर्शाने के लिए
कठिन व्रत करती हैं। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।

व्रत की पूजा विधि

करवा चौथ की पूजा विधि बहुत ही विशेष और नियमों से बंधी होती है।
इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी (जो सास द्वारा दी जाती है) का सेवन करती हैं।
इसके बाद दिनभर वे बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं।
शाम के समय महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं और भगवान शिव,
माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करती हैं। पूजा के लिए करवा (मिट्टी का घड़ा),
पानी, दीया, मिठाई, और रोली-कुमकुम से थाल सजाई जाती है।
इसके बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर और पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।

शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

करवा चौथ 2024 के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दिन चंद्रमा रात के लगभग
8:30 बजे के आसपास उदित होगा। हालांकि यह समय अलग-अलग स्थानों पर भिन्न हो सकता है,
इसलिए अपने क्षेत्र के समय के अनुसार चंद्रोदय देखें।
शुभ मुहूर्त में पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है, और 2024 में पूजा का समय शाम 6:00 बजे से
7:30 बजे तक होगा। इस दौरान महिलाएं व्रत की पूजा और कथा सुनने के बाद चंद्रमा का दीदार कर सकती हैं।

करवा चौथ से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

करवा चौथ मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, लेकिन अब यह पूरे देश में लोकप्रिय हो गया है।
व्रत के दिन महिलाएं विशेष रूप से श्रृंगार करती हैं और पारंपरिक परिधानों में सजती हैं,
जिसमें लाल या अन्य शुभ रंगों की साड़ियाँ शामिल होती हैं। करवा चौथ की पूजा में करवा का विशेष महत्त्व होता है,
जिसे जल से भरकर भगवान शिव और चंद्रमा को अर्पित किया जाता है। करवा चौथ के दिन महिलाएं एकत्र होकर कथा सुनती हैं,
जिससे उनका सामाजिक और पारिवारिक जुड़ाव भी बढ़ता है।

करवा चौथ का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व

करवा चौथ 2024 केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करता है।
यह व्रत महिलाओं को धैर्य, समर्पण, और सहनशीलता का प्रतीक बनाता है।
इसके साथ ही यह पर्व भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा को भी दर्शाता है,
जहां रिश्तों को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है।

निष्कर्ष

करवा चौथ 2024 का पर्व विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास होगा। व्रत की पूजा विधि,
महत्त्व, और शुभ मुहूर्त का सही ढंग से पालन करने से न केवल धार्मिक पूर्ति होती है,
बल्कि दांपत्य जीवन में भी सुख-समृद्धि आती है। यह पर्व पति-पत्नी के अटूट रिश्ते का प्रतीक है,
जो हर साल भारतीय परिवारों में धूमधाम से मनाया जाता है।