chhath puja भारतीय संस्कृति का एक पवित्र और आस्था से भरा पर्व है, जिसे विशेष रूप से बिहार,
उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान सूर्य और छठी मईया को समर्पित है,
जो जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना के लिए मनाया जाता है।
इस लेख में हम जानेंगे chhath puja 2024 की तिथि, महत्त्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम विस्तार से।
chhath puja 2024 की तिथि
chhath puja चार दिनों का पर्व होता है, जो इस वर्ष 7 नवंबर 2024 से शुरू होकर 10 नवंबर 2024 तक चलेगा।
इस दौरान व्रती अपने परिवार की खुशहाली के लिए कठिन उपवास रखते हैं और सूर्य देवता की आराधना करते हैं।
chhath puja के चार महत्वपूर्ण दिन निम्नलिखित हैं:
नहाय खाय (7 नवंबर)
इस दिन व्रती पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं।
व्रती शुद्धता का पालन करते हुए इस दिन सिर्फ सात्विक भोजन करते हैं।
खरना (8 नवंबर)
दूसरे दिन व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और संध्या समय में गन्ने के रस,गुड़ और चावल से
बनी खीर का प्रसाद बनाते हैं। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद रात का उपवास शुरू होता है।
संध्या अर्घ्य (9 नवंबर)
तीसरे दिन सूर्यास्त के समय व्रती नदी, तालाब या किसी पवित्र जलाशय में
खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। इस दिन महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर पूजा करती हैं।
उषा अर्घ्य (10 नवंबर)
अंतिम दिन सूर्योदय के समय उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है,
और इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर उपवास का समापन करते हैं।
chhath puja 2024 का महत्त्व
chhath puja का महत्त्व अत्यधिक है, क्योंकि इसे सूर्य और प्रकृति की उपासना के रूप में मनाया जाता है।
भगवान सूर्य को स्वास्थ्य, ऊर्जा और जीवनदायिनी शक्ति का स्रोत माना जाता है।
इस पर्व के दौरान श्रद्धालु आभार व्यक्त करते हैं और अपने परिवार की उन्नति के लिए सूर्य देव से प्रार्थना करते हैं।
यह पर्व भाईचारे, प्रेम और समर्पण का भी प्रतीक है।
chhath puja 2024 विधि
chhath puja के दौरान व्रती पूरी शुद्धता का पालन करते हैं और कठिन उपवास रखते हैं।
पूजा की विधि में व्रती उपवास के साथ-साथ नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
अर्घ्य के लिए बांस की टोकरी में ठेकुआ, गन्ना, नारियल और अन्य फलों को सजाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।
इस दौरान व्रती गहनों और अन्य आभूषणों को नहीं पहनते, ताकि पूजा की पूर्णता में कोई विघ्न न आए।
शुभ मुहूर्त
छठ पूजा में संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य का शुभ मुहूर्त बहुत महत्त्वपूर्ण होता है।
वर्ष 2024 में संध्या अर्घ्य का मुहूर्त 9 नवंबर की शाम 5:17 बजे से 5:37 बजे के बीच होगा।
वहीं, उषा अर्घ्य का मुहूर्त 10 नवंबर की सुबह 6:28 बजे से 6:48 बजे के बीच होगा।
इस समय के दौरान व्रती जल में खड़े होकर सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
व्रत के नियम
छठ पूजा का व्रत कठिन होता है और इसमें संकल्प और समर्पण की आवश्यकता होती है। व्रत के दौरान:
व्रती साफ-सफाई और सात्विकता का पालन करते हैं।
चार दिनों तक केवल सात्विक भोजन ही किया जाता है, जिसमें फल, सूप और खीर शामिल होते हैं।
कई व्रती निर्जला उपवास भी रखते हैं, अर्थात वे बिना पानी के भी उपवास करते हैं।
पूजा सामग्री में ठेकुआ, गन्ना, नारियल, फल और अन्य सामग्रियों का विशेष महत्त्व होता है।
निष्कर्ष
chhath puja 2024 में भी श्रद्धा, समर्पण और आस्था के साथ मनाई जाएगी।
इस पर्व के माध्यम से लोग प्रकृति और सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं
और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ाता है,
बल्कि सामाजिक एकता और परिवार के बंधनों को भी मजबूत करता है। इस प्रकार,
छठ पूजा का यह अद्भुत पर्व हर साल श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
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