स्विग्गी के सीईओ रोहित कपूर ने हाल ही में एक कार्यक्रम में अपने ओयो के दिनों के अनुभव के बारे में
बात की। उन्होंने बताया कि जब वे ओयो में काम कर रहे थे, तब वे सुबह 8 बजे ऑफिस पहुंचते थे,
लेकिन कोई वहां नहीं होता था। लोग धीरे-धीरे दोपहर 12-1 बजे के बाद आना शुरू करते और
फिर रात 3 बजे तक ऑफिस में रहते थे। इस पर टिप्पणी करते हुए कपूर ने कहा,
“मुझे इससे बहुत बड़ी समस्या थी।”
रोहित कपूर,ओयो में देर रात तक काम करने का ट्रेंड
कपूर ने बेंगलुरु में आयोजित एक इवेंट में यह साफ किया कि वे कर्मचारियों के देर रात तक ऑफिस में
रुकने और ‘हसल कल्चर’ के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, “आपको हर रोज़ 3 बजे तक ऑफिस
में रहने की जरूरत नहीं है। कुछ दिन होंगे जब आपको देर तक काम करना पड़ेगा,
लेकिन हमेशा नहीं।” वे कर्मचारियों को समय पर काम खत्म कर घर जाने और
अपने परिवार या दोस्तों के साथ समय बिताने की सलाह देते हैं।
काम और जीवन का संतुलन कैसे बनाएं?
कपूर ने यह भी कहा कि वे मेहनत के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वे खुद जीवनभर कड़ी मेहनत करते आए हैं।
लेकिन उनका मानना है कि यह मेहनत मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं होनी चाहिए।
“मेरी जिंदगी में कभी कुछ भी आसान नहीं रहा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप खुद को
पागल कर लें।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि काम और जीवन के बीच एक संतुलन बनाना बहुत जरूरी है।
रोहित कपूर ‘हसल कल्चर के नुकसान’
रोहित कपूर ने इस विचारधारा के खिलाफ अपनी राय व्यक्त की कि किसी कंपनी या काम में कुछ बड़ा
हासिल करने के लिए सब कुछ त्याग देना चाहिए। उन्होंने कहा, “आपको हर हाल में मेहनत करते
रहने की आवश्यकता नहीं है। यदि यह आपके स्वास्थ्य और व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर रहा है,
तो इसका कोई अर्थ नहीं रह जाता।”
स्विग्गी में काम करने की नई संस्कृति
स्विग्गी के सीईओ बनने के बाद कपूर ने इस विचार को बढ़ावा दिया कि लोगों को काम के साथ-साथ
अपनी निजी जिंदगी पर भी ध्यान देना चाहिए। उनका मानना है कि काम का सही ढंग से प्रबंधन किया जा सकता है
और फिर भी अच्छे नतीजे मिल सकते हैं। वे कहते हैं, “जो लोग अपनी सेहत और व्यक्तिगत जिंदगी
का ध्यान रखते हैं, वे अधिक संतुष्ट और उत्पादक होते हैं।”
रोहित कपूर के अनुभव का निष्कर्ष
रोहित कपूर का अनुभव और उनके विचार यह दर्शाते हैं कि केवल देर रात तक काम करने से
सफलता नहीं मिलती, बल्कि संतुलित जीवन और स्वस्थ मानसिकता अधिक महत्वपूर्ण है।
आज की तेजी से बदलती कार्य संस्कृति में, यह संदेश बहुत सार्थक है, खासकर उन लोगों
के लिए जो अपनी नौकरी के साथ-साथ अपनी व्यक्तिगत जिंदगी को भी महत्व देना चाहते हैं।
इस प्रकार, रोहित कपूर का ओयो में बिताया गया समय न केवल उनके लिए एक सीखने का अनुभव रहा,
बल्कि यह अन्य कर्मचारियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है। उन्हें यह समझना चाहिए कि काम के
साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन का संतुलन भी आवश्यक है, और यह केवल मेहनत करने से ही नहीं,
बल्कि सही तरीके से काम करने से संभव है।
आखिरकार, एक संतुलित और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने से न केवल कार्य उत्पादकता में
सुधार होता है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है।
इससे कर्मचारियों को काम पर आने में उत्साह और ऊर्जा मिलेगी,
जो किसी भी संगठन की सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इसलिए, अगर आप ओयो के माहौल या किसी भी अन्य कंपनी में काम कर रहे हैं,
तो यह जरूरी है कि आप अपने काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाकर रखें।
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