श्रीकांत शिंदे:संसद का हिवाळी अधिवेशन: एक नजर
संसद के हिवाळी अधिवेशन में भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में विशेष चर्चासत्र आयोजित किया गया।
इस सत्र में भारतीय राजनीति के दो प्रमुख चेहरे, राहुल गांधी और श्रीकांत शिंदे, के बीच सावरकर
के मुद्दे पर तीखी बहस देखने को मिली। यह बहस केवल व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं रही,
बल्कि इसने देश के राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव डाला।
सावरकर के मुद्दे पर विवाद
सावरकर का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक विशेष स्थान रखता है।
उनके विचारों और उनकी भूमिका को लेकर पहले भी कई विवाद हो चुके हैं।
इस विशेष सत्र के दौरान राहुल गांधी ने सावरकर के विचारों को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि सावरकर की विचारधारा को केंद्र सरकार ने अपनी राजनीति का आधार बनाया है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए Shrikant Shinde ने राहुल गांधी पर पलटवार किया और सावरकर
को भारतीय इतिहास का महानायक बताया। उन्होंने कहा कि सावरकर का योगदान
भारत की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय एकता के लिए अतुलनीय है।
बहस के प्रमुख बिंदु
राहुल गांधी का पक्ष
राहुल गांधी ने सावरकर की विचारधारा को लेकर बीजेपी की नीतियों पर सवाल उठाए।
उन्होंने सावरकर को केंद्र में रखकर मोदी सरकार को “संविधान के मूल सिद्धांतों से भटकाने वाला” बताया।
उन्होंने भारतीय संविधान और सावरकर की विचारधारा के बीच विरोधाभास की बात कही।
श्रीकांत शिंदे का जवाब
शिंदे ने सावरकर को स्वतंत्रता संग्राम का महानायक बताया।
उन्होंने कहा कि सावरकर पर सवाल उठाना देशभक्तों का अपमान है।
शिंदे ने राहुल गांधी पर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया।
इस विवाद का राजनीतिक प्रभाव
राहुल गांधी और श्रीकांत शिंदे के बीच यह बहस भारतीय राजनीति के विभिन्न पक्षों को उजागर करती है।
यह दिखाती है कि भारतीय राजनीति में वैचारिक मतभेद कितने गहरे हैं।
विपक्ष की रणनीति
विपक्ष ने इस बहस को मोदी सरकार पर हमला करने के एक अवसर के रूप में देखा।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में केंद्र सरकार की कई नीतियों को संविधान-विरोधी करार दिया।
सरकार की स्थिति
श्रीकांत शिंदे और अन्य बीजेपी नेताओं ने इसे कांग्रेस की “राजनीतिक हताशा” का प्रतीक बताया।
उनका मानना है कि सावरकर का नाम लेकर विपक्ष केवल ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहा है।
सावरकर: इतिहास और विवाद
सावरकर का योगदान
स्वतंत्रता संग्राम में सावरकर की भूमिका ऐतिहासिक थी। उन्होंने “हिंदुत्व” शब्द को परिभाषित किया।
कालापानी की सजा काटने के बावजूद सावरकर ने अपनी विचारधारा पर अडिग रहकर प्रेरणा दी।
सावरकर ने समाज सुधार और जाति व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई।
उनके द्वारा लिखित पुस्तकें और कविताएं भारतीय युवाओं में राष्ट्रवाद का संचार करती हैं।
विवाद
सावरकर की माफी याचिका को लेकर उनके आलोचक सवाल उठाते रहे हैं।
इसके बावजूद, उनके समर्थक इसे रणनीतिक कदम मानते हैं।
श्रीकांत शिंदे:वाद का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
सावरकर पर केंद्रित इस विवाद ने न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा छेड़ी है,
बल्कि आम जनता के बीच भी ऐतिहासिक मुद्दों पर बहस शुरू कर दी है।
कई लोगों ने सावरकर की उपलब्धियों को दोबारा पढ़ना शुरू किया है।
निष्कर्ष
राहुल गांधी और श्रीकांत शिंदे के बीच इस तीखी बहस ने न केवल संसद के माहौल को गर्म कर दिया,
बल्कि देशभर में इस पर चर्चा को तेज कर दिया है। सावरकर जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व पर विवाद से यह स्पष्ट होता है
कि भारतीय राजनीति में विचारधाराओं का टकराव कितना गहरा है।
यह बहस आने वाले चुनावों में दोनों पक्षों के लिए अहम भूमिका निभा सकती है।
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